कुछ लम्हे जो याद बना करते है
या तो अन्सुं
या मुस्कान
दिया करते है ....
उन आसुओ को पिए
इंसान जब
मुस्कान का सहारा लिया करते है
तब वो दुसरो को दुखयारी कह
ज़माने को खुश होने का
सबूत दिया करते है....
It was a comment by me on someone's blog....but i think its worth posting..
Monday, January 11, 2010
Monday, September 7, 2009
BADLI BADLI SI
कुछ बदली बदली सी हूँ मैं
क्या मैं ही हूँ, मैं
क्या मेरी हँसी, मैंने हँसी
या फ़िर दुसरो की हँसी में,मैं हँसी
क्यूँ मेरी समझ बदल गयी
क्यूँ दूजो को समझने के लिए
मैं उन्ही की समझ मैं ढल गयी
हर राह जो मैंने चुनी
क्यूँ वो इधर उधर निकल गयी
अपनी नज़र को कर नज़रंदाज़
क्यूँ मैं दूजो की ही नज़र पे अटक गयी
क्यूँ दुसरो की मानते मानते ....अपनी ही राह भटक गयी....
क्या मैं ही हूँ, मैं
क्या मेरी हँसी, मैंने हँसी
या फ़िर दुसरो की हँसी में,मैं हँसी
क्यूँ मेरी समझ बदल गयी
क्यूँ दूजो को समझने के लिए
मैं उन्ही की समझ मैं ढल गयी
हर राह जो मैंने चुनी
क्यूँ वो इधर उधर निकल गयी
अपनी नज़र को कर नज़रंदाज़
क्यूँ मैं दूजो की ही नज़र पे अटक गयी
क्यूँ दुसरो की मानते मानते ....अपनी ही राह भटक गयी....
Tuesday, June 9, 2009
KHUSHI
क्यूँ खुश है तू .
क्यूँ उड़ रहा है
क्या पा लिया एसा
की नवाब बन रहा है
ख़ुशी तो हर किसी की है
तेरी मैं नया क्या है
आज जो तेरी ख़ुशी
२ दिन बाद वही गम है
आज की बढ़ी तनखा
कल जेब मैं पैसे कम है
आज की मस्ती
कल exams मैं अंको का गम है
आज की cigarette
कल फेफडो में से हवा गुम है
आज का प्यार
तो कल बेवाफाओ की लिस्ट कम है
अगर कुछ अलग हो तो
मैं भी उसे ख़ुशी मानु
कुछ एसा जिससे याद कर
सालो बाद भी लबों पे
मुस्कान लोट आये
कुछ एसा जो किसी ओर को भी एक मुस्कान दे जाये
क्यूँ उड़ रहा है
क्या पा लिया एसा
की नवाब बन रहा है
ख़ुशी तो हर किसी की है
तेरी मैं नया क्या है
आज जो तेरी ख़ुशी
२ दिन बाद वही गम है
आज की बढ़ी तनखा
कल जेब मैं पैसे कम है
आज की मस्ती
कल exams मैं अंको का गम है
आज की cigarette
कल फेफडो में से हवा गुम है
आज का प्यार
तो कल बेवाफाओ की लिस्ट कम है
अगर कुछ अलग हो तो
मैं भी उसे ख़ुशी मानु
कुछ एसा जिससे याद कर
सालो बाद भी लबों पे
मुस्कान लोट आये
कुछ एसा जो किसी ओर को भी एक मुस्कान दे जाये
Tuesday, May 26, 2009
चल तू सीधा
सीधा सीधा चल तू
बस सीधा बन के ना चल तू
एक के बाद दूजा होगा
हर पल मैं कोई लोचा होगा
बच्चे थे तो भी चलते थे
सीधा सीधा चलने की कोशिश में
कभी गिरते
कभी फिसलते थे
पर दुनिया से सीधा पथ तो
न झेला जाता है
सच की शिक्षा देने वाला ही
जब झूठ पर झूठ गाता है
जब चोकी मैं बैठा
हवलदार ही हर पल पैसे खाता है
जब खुद को दोस्त कहने वाला
सिर्फ काम से ही आता है
जब हर पल एक और नए धोके का
डर सताता है
जब कोई अपना भी
अनजान से जायदा नही बन पता है
तब वो बच्चा क्यूँ गिर जाता है
सीधा बन्ने की कोशिश मैं
सीधा चलना भूल जाता है
उन जैसे लोगों की
क्यूँ वो गिनती बढ़ता है
क्यूँ वो ये भूल जाता है
की
सीधा चलने के लिए हर किसी को
सीधा पथ नही मिल पता है
कभी कभार एक झूठ १०० सच से बढ़कर हो जाता है
क्यूंकि वो सीधे पथ के लिए बोला जाता है .....
सीधा सीधा चल तू
बस सीधा बन के ना चल तू
एक के बाद दूजा होगा
हर पल मैं कोई लोचा होगा
बच्चे थे तो भी चलते थे
सीधा सीधा चलने की कोशिश में
कभी गिरते
कभी फिसलते थे
पर दुनिया से सीधा पथ तो
न झेला जाता है
सच की शिक्षा देने वाला ही
जब झूठ पर झूठ गाता है
जब चोकी मैं बैठा
हवलदार ही हर पल पैसे खाता है
जब खुद को दोस्त कहने वाला
सिर्फ काम से ही आता है
जब हर पल एक और नए धोके का
डर सताता है
जब कोई अपना भी
अनजान से जायदा नही बन पता है
तब वो बच्चा क्यूँ गिर जाता है
सीधा बन्ने की कोशिश मैं
सीधा चलना भूल जाता है
उन जैसे लोगों की
क्यूँ वो गिनती बढ़ता है
क्यूँ वो ये भूल जाता है
की
सीधा चलने के लिए हर किसी को
सीधा पथ नही मिल पता है
कभी कभार एक झूठ १०० सच से बढ़कर हो जाता है
क्यूंकि वो सीधे पथ के लिए बोला जाता है .....
Sunday, May 17, 2009
jhulfe
वो कोन है जो चला जा रहा है
दूर जा कर भी पास आ रहा है
देखा था उसे २ साल पहले
मगर आज भी अनजान नज़र आ रहा है
काला चस्मा लगाए
बाल लहरा रहा था
देखो वो झुल्फी
भाव खा रहा था
उनकी झुल्फो मैं खोए
हम रुक ना पाए
और अपने बालों पर रोज़ नए- नए शैंपू लगाये
उसके बाल तो भाढे जा रहे थे
मगर जाने क्यूँ
हमारे झडे जा रहे थे
बालों को तो हमने
जाने केसे संभाला
मगर बाकि तो हम मरे जा रह थे
इतने मैं आया भूरे बालों का जमाना
उसके साथ साथ हमने भी कलर लगाने का ठाना
मगर भूरे बालो को भूरी रंगत ना भाई
बीना बात मैं जेब कटवाई
शैंपू का कहर तो वो सह चुके थे
रंग के बाद तो
बाल मेरे अब २-४ ही रह चुके थे .......
दूर जा कर भी पास आ रहा है
देखा था उसे २ साल पहले
मगर आज भी अनजान नज़र आ रहा है
काला चस्मा लगाए
बाल लहरा रहा था
देखो वो झुल्फी
भाव खा रहा था
उनकी झुल्फो मैं खोए
हम रुक ना पाए
और अपने बालों पर रोज़ नए- नए शैंपू लगाये
उसके बाल तो भाढे जा रहे थे
मगर जाने क्यूँ
हमारे झडे जा रहे थे
बालों को तो हमने
जाने केसे संभाला
मगर बाकि तो हम मरे जा रह थे
इतने मैं आया भूरे बालों का जमाना
उसके साथ साथ हमने भी कलर लगाने का ठाना
मगर भूरे बालो को भूरी रंगत ना भाई
बीना बात मैं जेब कटवाई
शैंपू का कहर तो वो सह चुके थे
रंग के बाद तो
बाल मेरे अब २-४ ही रह चुके थे .......
Thursday, May 14, 2009
गलती थी खुद की
क्यूँ दूजो पर थोपी
क्यों ना माना कभी
की खुद ही गलत थी
गलती थी खुद की
क्यूँ फिर भी मैं रोई
क्यों उन आंसुओ ने
अहमियत खोई
खुद ही के नाटक थे
खुद का ही ड्रामा
हर पल बस था एक और नया बहाना
भागी थी खुद से
पर अब गिर पड़ी हूँ
मंजिल तो छोडो
राहों को तरस रही हूँ
गलती जो की
अब रो रही हूँ
दूजो को छोडो ....खुद को खो रही हूँ
क्यूँ दूजो पर थोपी
क्यों ना माना कभी
की खुद ही गलत थी
गलती थी खुद की
क्यूँ फिर भी मैं रोई
क्यों उन आंसुओ ने
अहमियत खोई
खुद ही के नाटक थे
खुद का ही ड्रामा
हर पल बस था एक और नया बहाना
भागी थी खुद से
पर अब गिर पड़ी हूँ
मंजिल तो छोडो
राहों को तरस रही हूँ
गलती जो की
अब रो रही हूँ
दूजो को छोडो ....खुद को खो रही हूँ
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