Tuesday, June 9, 2009

KHUSHI

क्यूँ खुश है तू .
क्यूँ उड़ रहा है
क्या पा लिया एसा
की नवाब बन रहा है
ख़ुशी तो हर किसी की है
तेरी मैं नया क्या है

आज जो तेरी ख़ुशी
२ दिन बाद वही गम है
आज की बढ़ी तनखा
कल जेब मैं पैसे कम है
आज की मस्ती
कल exams मैं अंको का गम है
आज की cigarette
कल फेफडो में से हवा गुम है
आज का प्यार
तो कल बेवाफाओ की लिस्ट कम है

अगर कुछ अलग हो तो
मैं भी उसे ख़ुशी मानु
कुछ एसा जिससे याद कर
सालो बाद भी लबों पे
मुस्कान लोट आये
कुछ एसा जो किसी ओर को भी एक मुस्कान दे जाये

2 comments:

  1. क्या बात है चैताली जी,
    कहीं आपका इरादा कोई काव्य किताब लिखने का तो नहीं है?

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