Tuesday, May 26, 2009

चल तू सीधा
सीधा सीधा चल तू
बस सीधा बन के ना चल तू
एक के बाद दूजा होगा
हर पल मैं कोई लोचा होगा

बच्चे थे तो भी चलते थे
सीधा सीधा चलने की कोशिश में
कभी गिरते
कभी फिसलते थे
पर दुनिया से सीधा पथ तो
न झेला जाता है

सच की शिक्षा देने वाला ही
जब झूठ पर झूठ गाता है
जब चोकी मैं बैठा
हवलदार ही हर पल पैसे खाता है
जब खुद को दोस्त कहने वाला
सिर्फ काम से ही आता है
जब हर पल एक और नए धोके का
डर सताता है
जब कोई अपना भी
अनजान से जायदा नही बन पता है

तब वो बच्चा क्यूँ गिर जाता है


सीधा बन्ने की कोशिश मैं
सीधा चलना भूल जाता है
उन जैसे लोगों की

क्यूँ वो गिनती बढ़ता है
क्यूँ वो ये भूल जाता है
की
सीधा चलने के लिए हर किसी को
सीधा पथ नही मिल पता है


कभी कभार एक झूठ १०० सच से बढ़कर हो जाता है
क्यूंकि वो सीधे पथ के लिए बोला जाता है .....

3 comments:

  1. kabhi jhoot 100 sach se badhkar ho jata hai .bahut hi sudar .

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  2. बिलकुल सही लिखा है.
    सही तो लिखा है.
    और हाँ जी, आप एक काम और करें. अपनी सेटिंग में कमेन्ट सेटिंग में जाकर word verification को ख़त्म कर दें. इससे आपको और ज्यादा कमेन्ट मिलेंगे.

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